आइये आज शाकद्वीपीय ब्राह्मणों के गोत्र और पूर के बारे में कुछ जानकारियाँ प्राप्त करें।

शाकद्वीपीय ब्राह्मणों के गोत्र और पूर के बारे में अध्ययन एवं विश्लेषण करने पर कुछ मूल भुत प्रश्न सामने आते हैं। जब ‘शाकद्वीपीय ब्राह्मण’ भारत में शाकद्वीप से आये थे, तो क्या इनके मूल निवास स्थान शाकद्वीप में भी, इनका कोई गोत्र या पूर था?

विभिन्न पुराणों तथा शास्त्रों के अध्ययन करने पर भी इस सवाल का कहीं भी समुचित जबाब नहीं मिलता है।

शाकद्वीप में पाई जाने वाली मुख्य जातियों (वर्ण) का नाम ऋतव्रत, सत्यव्रत, दानव्रत तथा अनुव्रत था। ये सभी छीरसागर में निवास कर रहे अपने इष्टदेव श्रीहरि का पूजन करते थे। लेकिन वहां कोई वर्ण या पूर ब्यवस्था थी, इस बात का कोई भी प्रमाण नहीं मिलता है।

शाकद्वीपीय गोत्र और पूर ब्यवस्था

शाकद्वीपीय ब्राह्मणों के गोत्र और पूर ब्यवस्था उनके भारत आगमन के पश्चात ही शुरू हुवा।

कहते हैं कि देशकाल, परिस्थिति वश अगर शास्त्रानुकूल नियमों को बदलना पड़े, तो उसे अवश्य बदला जाना चाहिए। शायद इन्ही कारणों से भारत आने के पश्चात शाकद्वीपीय ब्राह्मणों ने यहाँ की गोत्र ब्यवस्था को अपना लिया।

भारत में ‘गुरु घराना या ‘गुरु मुख’ (गुरु मन्त्र लेना) होने की परम्परा बहुत पुरानी है। संभवतया इन 18 ब्राह्मण कुमारों ने जिस जिस भी गुरु से गुरु मन्त्र लिया होगा उनके नाम से शुरू होने वाले गोत्र की परम्परा शाकद्वीपीय ब्राह्मणों में भी शुरू हो गई।

इस बारे में यह ज्ञातब्य होना चाहिए कि शाकद्वीपीय ब्राह्मणों में गोत्र परंपरा कैसे शुरू हुई, इसका कोई लिखित प्रमाण, अबतक मुझे किसी भी स्रोत से नहीं प्राप्त हो सका है। हाँ अगर किसी भाई को इस बाबत कोई भी जानकारी मिले, तो समाज  की जानकारी के लिए कृपया यहाँ जरूर प्रस्तुत करें।

प्रारम्भ में शाकद्वीपीय ब्राह्मणों के 18 कुल ही भारत आये थे। उन्हें सर्वप्रथम चंद्रभागा नदी के तट पर बसाया गया था। चंद्रभागा नदी उड़ीसा में बहने वाली एक छोटी सी नदी का नाम था, जो की पुरी में सागर से जाकर मिलती थी।

आज के भारत में चंद्रभागा नदी नहीं दिखाई देती है। शायद इस नदी के साथ भी कुछ वैसा ही हुवा है, जो अपने समय की सबसे बड़ी तथा इतिहास में बहुचर्चित नदी सरसवती के साथ हुवा है। ये दोनों नदियाँ आज के भारत में लुप्त हैं। लेकिन कोर्णाक मंदिर चंद्रभागा नदी के तट पर स्थित था इसका वर्णन बड़ी आसानी से आपको पुराणों की कथाओं में मिल जायेगा। सत्यनारायण भगवन की कथाओं में भी चंद्रभागा नदी का वर्णन साफ साफ आता है।

“चंद्रभागा नदी तीरे सत्यस्य व्रतमाचरत।।”

एक बात और विचार योग्य है। “ब्राह्मणों के 18 कुल ही भारत आये थे” का तात्पर्य यही है कि ये ब्राह्मण शाकद्वीप से 18 अलग अलग परिवारों (कुलों) से यहाँ भारत आये थे, ना कि वे आपस में भाई भाई थे।

कुछ विद्वानों के मतानुशार इन ब्राह्मण कुमार का विवाह, उनके भारत में आगमन के पश्चात ही हुआ।  उनका विवाह मगध में ब्राह्मण कन्याओं से कराया गया था और इस तरह से उनका बंश आगे बढ़ा।

कुछ विद्वानों का यह भी मत है कि शाकद्वीप से 18 कुल नहीं बल्कि 18 परिवार भारत आये थे।

“शाकद्वीपात् सुपर्णेन चानीतो द्विजःपुंगवः । शाकद्वीपी द्विजो सो$भूत विख्यातो धरणीतले ।।”

सच कुछ भी हो लेकिन इन 18 परिवारों से आगे बढे 72 लोगों या परिवारों को मगध नरेश की आज्ञा से 72 अलग, अलग ग्रामों (पूरों) में बसाया गया था, ताकि इन विद्वान विप्रजाति का लाभ समाज में चहुँ ओर फैल सके। और इसी तरह शाकद्वीपी ब्राह्मणों में ‘पूर’ की शुरुआत हुई।

शाकद्वीपीय ब्राह्मण सिर्फ सूर्य पूजक ही नहीं थे, बल्कि इतिहास के अध्ययन से पता चलता है कि वे शैव और शक्ति के भी उतने ही धूर सत्व पूजक रहे हैं। इस बारे में विस्तार से आगे चर्चा, फिर किसी अन्य पोस्ट में करूँगा।

फ़िलहाल गोत्र-पूर सम्बंधित तालिका अन्य विवरण के साथ विस्तार से आपलोगों की जानकारी के लिए निचे दी जा रही हैं।

साभार: मग-दर्पण : स्व० पं० सभानाथ पाठक, आरा , बिहार से शाकद्वीपीय मग ब्राह्मणों की गोत्र-पूर तालिका जो  प्राप्त हुई है, वह निम्न है :-

शाकद्वीपीय मग ब्राह्मण गोत्र पूर तालिका

Shakdwipiya-Gotra-Table-1 Shakdwipiya-Gotra-Table-2 Shakdwipiya-Gotra-Table-3 Shakdwipiya-Gotra-Table-4 Shakdwipiya-Gotra-Table-5 Shakdwipiya-Gotra-Table-6 Shakdwipiya-Gotra-Table-7

 

शाकद्वीपीय भोजक ब्राह्मणों की गोत्र खाप तालिका, जो साभार shakdwipiya.com से प्राप्त हुई है, वह निम्न है :-

शाकद्वीपीय भोजक ब्राह्मण गोत्र खाप तालिका

Rajasthani-Shakdwipiya-Brahmin-Gotra

 

साभार: वैवाहिक पत्रिका, लखनऊ से प्राप्त शाकद्वीपीय ब्राह्मणों की गोत्र पूर तालिका, निम्न है :-

 

 

क्रमपुरउपाधिगोत्रमूलस्थान/मण्डलवेदउपवेददेवता
आर- 24
1उरवारमिश्र/पाठकभारद्वाजटेकारी/गयायजुर्वेदधनुर्वेदरुद्र
2मखपवार,,,,मखपा/गया,,,,,,
3देवकुलियार,,,,देवकुली/गया,,,,,,
4पडरीयार,,,,पड़री/विक्रम (पटना),,,,,,
5अदइयार,,,,कोंच/गया,,,,,,
6पवइयार,,,,पवई/औरंगाबाद,,,,,,
7क्षत्रवार,,,,बेलागंज/गया,,,,,,
8जम्मुवार,,,,जमुआर/गया,,,,,,
9भड़रियारमिश्र,,भड़रिया/गया,,,,,,
10खंटवारमिश्र/ पाठककौन्डिल्यबेलागंज/गयासामवेदगंधर्ववेदविष्णु
11केरियार,,,,कुतेया/औरंगाबाद,,,,,,
12छेरियार,,कश्यपमखदुमपुर/गयासामवेदगंधर्ववेदविष्णु
13कुरईचियारमिश्र,,कुराईच/रोहतास,,,,,,
14भलुनियारपण्डित/ पाण्डेय,,भलुनी/रोहतास,,,,,,
15डुमरियारमिश्र/पाठकभृगुदुर्गावती/रोहतासऋग्वेदगंधर्ववेदविष्णु
16बाड़वार,,,,परैया/गया,,,,,,
17सरइयार,,पराशरआमस/गयायजुर्वेदधनुर्वेदरुद्र/ विष्णु
18योतियार,,,,पवई/औरंगाबाद,,,,,,
19शिकरौरियार,,कौशिकसिकरौर/भोजपुरसामवेदगंधर्ववेदविष्णु
20मोलियारमिश्र,,मलमा/गया,,,,,,
21ऐआरमिश्र/पाठकरहदोरीरखार/भोजपुर,,,,,,
22रहदौलीयार,,,,रहवार/भोजपुर,,,,,,
23अवधियारपाठक/पाण्डेयकौशल्यअयोध्या/ जगुआर /गया,,,,,,
24पुतियारमिश्र/पाठकवत्सओडो/नवादा,,,,,,
अर्क- 7
25उल्लार्कमिश्रभृगुउल्ला/परैया/गयाऋग्वेदगंधर्ववेदविष्णु
26लोलार्कमिश्र/पाठक,,देवकुली/ काशी,,,,,,
27बालार्क,,शाण्डिल्यदेवकुली/गयासामवेदगंधर्ववेदविष्णु
28कोणार्क,,,,मदनपुर/औरंगाबाद,,,,,,
29पुण्डार्कउपाध्यायपुण्डार्कपुण्डारक/पटना,,,,,,
30चारणार्कमिश्र/पाठक,,पुण्डारक/पटना,,,,,,
31मार्कंडेय,,गर्गदेवकुली/गया,,,,,,
आदित्य- 12
32देवडीहामिश्रभारद्वाजडीहा/गयायजुर्वेदधनुर्वेदरुद्र
33गुन्सइयाँ,,,,गगाही/औरंगाबाद,,,,,,
34महुरसिया,,कश्यपमोहारसदेव/आजमगढ़सामवेदगंधर्ववेदविष्णु
35डूमरौरी,,,,हसनपुर/गया,,,,,,
36सपहापाठक,,सपहा/आजमगढ़,,,,,,
37गुलसैयामिश्रकौशिकछपरा/सिवानसामवेदगंधर्ववेदविष्णु
38मल्लौर्क,,,,मलमा/गया,,,,,,
39हरहसिया,,,,हरिहौस/सारण,,,,,,
40देवलसियापाण्डेय,,देव/औरंगाबाद,,,,,,
41वरुणार्कमिश्र/पाठककौन्डिल्यपटनासामवेदगंधर्ववेदविष्णु
42कुण्डार्कमिश्र,,गोह/गया,,,,,,
43विलसैयामिश्र/पाठकगर्गवेलासो/गाजीपुर,,,,,,
किरण- 17
44श्वेतभद्रमिश्रभारद्वाजश्वेतरामपुर/गाजीपुरयजुर्वेदधनुर्वेदरुद्र
45पंचकंठी,,,,इमामगंज/पंचमा/गया,,,,,,
46डूडरियार,,,,खुडराही/गया,,,,,,
47पठकौलियारपाठककश्यपपठखौली/गाजीपुरसामवेदगंधर्ववेदविष्णु
48पंचहायमिश्र,,पंचाननपुर/गया,,,,,,
49सियरी,,,,सियारी/गोरखपुर,,,,,,
50कुकरौंधा,,,,कुकरौंधा/औरंगाबाद,,,,,,
51मोरियार,,,,गया,,,,,,
52मिहिर/मिहीमगौरियारपाठकमिहिरफुलवरिया/सारण,,,,,,
53वेरियारमिश्रकौन्डिल्यबारा/गयासामवेदगंधर्ववेदविष्णु
54मेहोशवारउपाध्यायकौशिकमेहोंश/मुंगेरसामवेदगंधर्ववेदविष्णु
55सौरियारमिश्र,,सोरंगपुर/पटना,,,,,,
56पुनरखियामिश्रसार्ववल्यपुनरख/पटना,,,,,,
57देवहाय,,अत्रिदेव/औरंगाबाद,,,,,,
58शुंडार्क,,भृगुककरही/औरंगाबादऋग्वेदगंधर्ववेदविष्णु
59यत्थय,,जमदग्निकोच/गया,,,,,,
60ठकुर मेराँव,,अंगिरापचना ठकुरी/भोजपुर,,,,,,
मण्डल- 14
61डिहिकभट्टभारद्वाजडीहा/गयायजुर्वेदधनुर्वेदरुद्र
62भड़रियारमिश्र,,भड़रिया/गया,,,,,,
63चंडरोह,,कश्यपचंदनपुर/पटनासामवेदगंधर्ववेदविष्णु
64खजुरहा,,,,खजुरी/गोह/गया,,,,,,
65पट्टिश,,शाण्डिल्यपिसनरी/पटनासामवेदगंधर्ववेदविष्णु
66काझ,,वैतायनखजनिकाम/गया,,,,,,
67कपिश्य,,गर्गकधुमा/गया,,,,,,
68परसन,,पराशरपरसन/भोजपुरयजुर्वेदधनुर्वेदरुद्र/विष्णु
69खंडसूपक,,कौन्डिल्यखनेता/टेकारी/गयासामवेदगंधर्ववेदविष्णु
70बालिबाघ,,भृगुबधवा/गयाऋग्वेदगंधर्ववेदविष्णु
71पिपरोहा,,जमदग्निपिपराहा/गया,,,,,,
72बड़सापी,,वशिष्ठबरसा/गया,,,,,,

 

गोत्र प्रवर विवरण

क्रमगोत्रगोत्र प्रवर
01भारद्वाजगोत्र प्रवर-३ ( अंगिरस, बार्हस्पत्य, भारद्वाज)
02कौन्डिल्यगोत्र-प्रवर-३ (वशिष्ठ, मित्रावरुण, कौन्डिल्य)
03कश्यपगोत्र-प्रवर-३ (कश्यप, असित, देवल)
04भृगुगोत्र-प्रवर-५ (भार्गव, आप्नवान, और्ब, च्वाय, जामदग्न्य)
05कौशिकगोत्र-प्रवर-३ (विश्वामित्र, किशील अघमर्षण)
06वत्सल्यगोत्र-प्रवर-३/5 (आंगिरस, बाह्र्स्पतय, शैन्य, गार्ग्य, वत्सल्य)
07पराशरगोत्र-प्रवर-३ (वशिष्ठ, शक्ति, परशान)

 

गोत्र, देवी और भैरु

अब आइये शाकद्वीपीय मैग ब्राह्मणों के गोत्र के साथ उनकी देवी और भैरु के बारे में भी कुछ जानकारी प्राप्त कर लें ।

 

GotraDeviBhairo

 

उपर्युक्त विचार-विमर्श के परिपेछ में अक्सर पाया गया है कि हमारे शाकद्वीपीय बंधूओं में टाइटल या उनकी उपाधि को लेकर काफी संशय की स्थिति है ।

पूर्व में बसे शाकद्वीपीयों  में टाइटल मुख्य रूप से मिश्र, पाण्डेय, पाठक और शर्मा पाया जाता है जबकि पश्चिम में बसे शाकद्वीपीय भाइयों को मुख्यतः सेवग, शर्मा, भोजक, कुवेरा, या हटीला के नाम से बुलाते हैं।

इस विषय पर विस्तार से चर्चा करने पर पाया गया कि ये टाइटल अपूर्ण हैं और कालांतर में समय और परिस्थिति  के साथ इनमें काफी वृद्धि हुई है।

पूर्व और उत्तर में बसे शाकद्वीपीय ब्राह्मणों में पाए जाने वाले टाइटल (उपाधि) का नाम साधारणतया अब  “मिश्र, पाण्डेय, पाठक, पंडित, ओझा, शुक्ल, बाजपेयी, उपाध्याय, शर्मा, गर्ग और भट्ट” है। वहीँ  पश्चिम में बसे शाकद्वीपीय ब्राह्मणों में पाए जाने वाले टाइटल (उपाधि) का नाम साधारणतया “सेवग, शर्मा, भोजक, कुवेरा, हटीला, कटारिया, मथुरिया, लोधा, जंगला, छापरवाल, बलध, आसिवाल, मुन्धाडा, देवेरा, लल्लड, भरतानी, सांवलेरा, हिरगोला, भीनमाल, मेडतवाल या फिर अबोटी” आदि उद्बोधन हैं।

जयति जय, जय, जय भास्कर !!

कुछ अन्य महत्वपूर्ण रोचक तथ्य:

अयोध्या का प्राचीन सूर्य कुंड मंदिर: सूर्य उपासना केंद्र, दर्शननगर, फैजाबाद 
शाकद्वीपीय ब्राह्मणों के बारे में कुछ ऐतिहासिक तथ्य 
शाकद्वीपीय ब्राह्मण इतिहास : एक संक्षिप्त विवेचना व अध्ययन 
Where is Shakdwip? : A Study from the Glimpse of History 
Who are Shakdwipiya Brahmins? : A tale of Divya Brahmins in India